रौशनी,खुशखबरी और मिठास मिले
दिवाली पे तोहफा सबको ख़ास मिले
दुआ है हर आंगन में उतरें खुशियाँ
हर घर में मस्ती का अहसास मिले
किसी चीज़ को ना तरसे कभी कोई
अपने हिस्से का सबको आकाश मिले
खुलेगा पिटारा शोहरत और दौलत का
लक्ष्मी की और से सबको विश्वास मिले
इस्तकबाल करे कामयाबी हर काम में
दिक्कतों को सदा खातिर बनवास मिले
शौक बेशक सर चढ़कर कुछ बोले बेचैन
पर मजबूरी में ना किसी का उपवास मिले
2 comments:
umda rachna hai sir, ek dard bhi, ek subhkamna bhi sab kuch hai is kavita mai
subh dipawali aur naye saal ki subhkamnayen....
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