हर अदा में छिपे हैं सौ-सौ राज
क्या लगाऊं अदाओं का अंदाज़
एक दफा जो भी मिल लें तुझसे
हो जाये है उसका दिल दगाबाज़
असर है तेरी खिलखिलाहट का
नींद में सुनता हूँ हंसी की आवाज़
उम्र को भी पछाड़ के रख दिया
बता तो दीजियेगा क्या है राज़
जिसे देखो वो ही बेचैन हुआ है
मान गये तुझको वाह मुमताज़
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